दवाएं बनी मेरी किडनी की दुश्मन

नमस्कार, मेरा नाम रोहित चंदेल है और मैं हिमाचल के काँगड़ा जिले का रहने वाला हूँ। जिन लोगो को नहीं पता मैं उन लोगो को बता दूँ कि काँगड़ा हिमाचाल की काफी ख़ूबसूरत जगह जहाँ लोगो का आना जाना लगा ही रहता है।मेरा घर काँगड़ा की ऊंची पहाडियों पर बना हुआ है जहाँ से कुदरत का जो नजारा होता है उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। लेकिन यहाँ की सबसे खराब चीज़ के बारे में बात कि जाए तो वो ये है कि यहाँ पर अस्पताल काफी दूर है। जी हाँ, अगर हम लोग बीमार हो जाए तो हमें उसी बीमारी की हालत में पहाड़ से करीब एक किलोमीटर निचे पैदल आना पड़ता है उसके बाद हमें बस मिलती है फिर कहीं जाकर हम अस्पताल तक पहुँच पाते हैं।वैसे तो पहाड़ियों के लिए ये कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन मेरे लिए ये काफी बड़ी बात है क्योंकि इसकी वजह से मुझे काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।

मैं बीते कुछ सालों से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहा था, जिसको काबू में रखने के लिए मैं तक़रीबन हर बात का ध्यान रखा करता था, जैसे – कम नमक लेना, नॉन वेज कम लेना और समय से दवाएं लेना।मुझे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या मेरे खाने पीने की आदतों से हुई थी, दरअसल मुझे अपने खाने में तेज नमक, मिर्च-मसाले लेने की आदत थी और अगर सप्ताह भर में दो-तीन बार नॉन वेज न मिले तो बात ही नहीं बनती थी।मेरी खाने की आदत के कारण मेरे घर मुझसे हमेशा दुखी ही रहते थे, क्योंकि ये खाना खाकर अक्सर मुझे पेट से जुड़ी समस्या हो जाती थी। न जाने क्यों पर मेरा पेट बाकि घर वालों से कमजोर था, बल्कि हम सभी एक जैसा ही खाना लिया करते थे।पेट खराब रहने की वजह से और दिन भर में तकरीबन दो से तीन बार पहाड़ से निचे उतरने की वजह से मेरा ब्लड प्रेशर हाई रहने लग गया था पर मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। पर जब भी मेरा ब्लड प्रेशर हाई होता तो मुझे चक्कर आने लग जाते थे, अचानक से दिल घबराने लग जाता, पसाने आने लग जाते और मुझे काफी नींद आने लगती थी।शुरुआत में तो मैंने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया पर एक बार जब इन सभी समस्याओं के साथ मुझे उल्टियाँ आने लगी तो घर वालें मुझे अस्पताल लेकर गये, जिसमे मुझे करीब दो घंटे का समय लग गया था और इस बीच मेरी हालत काफी ज्यादा खराब हो चुकी थी।

मैं उस दिन जैसे-तैसे अस्पताल पहुंचा जहाँ डॉक्टर ने मेरी जांच करने के बाद बताया कि मेरा ब्लड प्रेशर काफी ज्यादा हाई हो जाने की वजह से मुझे ये सभी समस्याएँ हो रही है। डॉक्टर ने मुझसे आगे कहा कि अगर मैं अपने खाने पीने में काबू करूं तो मुझे ये समस्या आगे नहीं होगी और साथ में दवाएं भी लेनी होगी उसी से मेरी तबियत ठीक हो सकती है।मैंने डॉक्टर की बात मानते हुए अपने खाने पीने काफी बदलाव किया और अपने खाने में नमक लेना भी काफी कम दिया था, जिससे मुझे काफी आराम मिलने लग गया था। अपनी तबियत में आते सुधारों को देखते हुए मैं काफी खुश था, मैं डॉक्टर की दी हुई दवाएं भी ठीक से ले रहा था। लेकिन इस दौरान मैं जब पहाड़ से निचे आता और वापिस जाता तो मेरा ब्लड प्रेशर अक्सर हाई हो जाता था, जिसकी वजह से मुझे दवा लेनी पड़ती थी।इसे देखते हुए मैंने दवा रोजाना लेनी शुरू कर दी और यही मेरी सबसे बड़ी गलती थी। आप सोच रहे होंगे कि भला दवा लेने में क्या बड़ी गलती हो सकती है? मैं जिन दवाओं से खुद को स्वस्थ कर रहा था आखिर में उन दवाओं की वजह से मेरी किडनी खराब हो गई थी! जी हाँ, दवाएं लेने से भी किडनी खराब हो सकती है नहीं खासकर वो दवाएं जिनसे ब्लड प्रेशर काबू किया जाता।

Kidney Treatment in Ayurveda

ब्लड प्रेशर की दवाओं का मैं कुछ ही समय में इतना आदि हो चूका था कि मुझे बिना दवा लिए आराम ही नहीं मिलता था। उन दिनों मेरे दिन की शुरुआत दवा से होती थी और दिन का अंत भी ब्लड प्रेशर की दवा से होता था, पर मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी कि जिन दवाओं पर मैं इतन भरोसा कर रहा हूँ एक दिन वही मुझे मौत के दरवाजे पर ले जा कड़ी करेंगी।मेरी किडनी खराब होने पर मुझे कई शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ा था जो कि मुझे पहले कभी नहीं हुई थी।मुझे सबसे पहले जो समस्या हुई वो था आम सा बुखार जिसपर मैंने कोई ध्यान नहीं दिया था क्योंकि मुझे बुखार होना एक बहुत ही आम सी बात थी। उस दौरान मुझे अचानक से तेज बुखार रहने लग गया और मुझे काफी ठंड भी लगने लग गई, दवाएं लेने पर मुझे इससे आराम मिल गया लेकिन मेरे घर वाले इस बात से चकित थे कि गर्मियों के मौसम में ठंड वाला बुखार कैसे हो सकता है।मुझे इन दिनों बुखार तो हो ही रहा था साथ ही मुझे पेशाब से जुड़ी समस्याएँ भी रहने लग गई। उस दौरान मैंने महसूस किया कि मुझे अचानक से कम पेशाब आने लग गया और पेशाब करने के लिए काफी जोर लगाना पड़ता था। मुझे लगा कि ये बुखार रहने और ज्यादा दवाएं लेने के कारण हुआ है तो ये अपने आप ही ठीक हो जायगा, इस बात को ध्यान में रखने हुए मैंने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। लेकिन मैं गलत था, मेरे पेशाब की समस्या ठीक तो नहीं हुई उल्टा हालत पहले से भी ज्यादा खराब हो गई।

अब मुझे पेशाब से जुड़ी बाकी दोनों समस्यों के साथ-साथ पेशाब करते हुए मुझे काफी जलन भी होने लग गई जिसको सहन कर पाना मेरे लिए काफी मुश्किल था। इतना ही नहीं मेरे पेशाब से काफी बदबू आने लग गई थी और पेशाब का रंग गहरा पीला हो चूका था। मैंने इस बारे में डॉक्टर से बात कि तो उन्होंने मुझे इसके लिए भी दवाएं लिखकर दी और साथ में कुछ परहेज। मैं इससे पहले पेशाब की समस्या से छुटकारा पाता, उससे पहले मेरे शरीर में काफी सूजन आने लग गई जो कि मेरे साथ पहली बार हुआ था। सूजन आने की शुरुआत पैरों से हुई थी जो कि कुछ ही दिनों में इतनी ज्यादा बढ़ गई थी मुझसे ठीक से चला भी नहीं जा रहा था और जब सूजन की दवाएं ली तो आराम मिलने के बजाय वो चेहरे पर भी आने लग गई। इन सभी समस्याओं से साथ-साथ मेरा ब्लड प्रेशर भी साथ ही साथ लगातार बढ़ता जा रहा था जो कि दवाएं लेने पर भी काबू में नहीं आ रहा था। ब्लड प्रेशर के हाई रहने के कारण मुझे दिन में कई बार उल्टियाँ आने लगी थी और इसकी वजह से भूख बिलकुल भी नहीं लगती थी। मैं इन दिनों इन सभी समस्याओं के कारण एक दम कमजोर हो चूका था और दवाओं से भी मुझे कोई आराम नहीं मिल रहा था। मैं अपने घर वालों के साथ-साथ कई बार पहाड़ी से उतर कर अस्पताल जाता था, जहाँ डॉक्टर जाते ही मुझे कुछ दवाएं देते और मुझे उससे आराम मिल जाता। लेकिन मुझसे बार-बार पहाड़ी पर चढ़ा नहीं जाता था क्योंकि उसमे काफी तकलीफ होती थी, पर इसके अलावा दूसरा कोई चारा भी नहीं था।

ऐसे ही मैंने करीब दो सप्ताह कर दवाएं ली लेकिन कोई खास आराम नहीं मिला, जिसे देखते हुए घर वालों ने मुझे एक शहर के बड़े अस्पातल में दिखाया।बड़े अस्पताल में जाने के बाद डॉक्टर ने मुझसे कहा कि मुझे एक बार किडनी की जांच करवा लेनी चाहिए, क्योंकि ये सभी समस्याएँ किडनी खराब होने के लक्षण है। मैंने डॉक्टर की सलाह मानते हुए उनके बताए हुए सभी टेस्ट करवा लिए और जैसे ही रिपोर्ट्स आई मैंने उन्हें वो सभी रिपोर्ट्स दिखाई। मेरी रिपोर्ट्स देखने के बाद डॉक्टर ने मुझसे कहा कि जिस बात का डर था वही हुआ, मेरी किडनी खराब हो चुकी है इसी वजह से मुझे ये सभी समस्याएँ हो रही है और अब मुझे अपनी किडनी ठीक करने के लिए केवल और केवल डायलिसिस करवाना होगा, नहीं तो मेरी तबियत और भी ज्यादा खराब हो जायगी जिसको ठीक कर पाना बहुत ही मुश्किल हो जायगा।डॉक्टर की ये बात सुनने के बाद मुझे ऐसा लगा कि जैसे पैरों तालो से जमीन खिसक गई हो, क्योंकि मैं ऐसा कुछ नहीं करता था जिससे मेरी किडनी खराब हो जाए।पर फ्री डॉक्टर ने मुझे बताया कि मेरी किडनी ज्यादा दवाएं लेने की वजह से खराब हुई है।उस दौरान किडनी ठीक करने के लिए मैंने डॉक्टर की सलाह मानी और अगले दिन से ही डायलिसिस करवाना शुरू कर दिया।

मैंने अपनी किडनी ठीक होने की उम्मीद में करीब 8 महीने तक लगातार हर हफ्ते दो बार डायलिसिस करवाया, पर कोई फायदा नहीं मिला। एक दिन जब मैं अपने घर में आराम कर रहा था तो मेरा एक दोस्त मुझसे मिलने आया और उसने मुझे बताया दिल्ली में ही एक आयुर्वेदिक हॉस्पिटल है जिसका नाम कर्मा आयुर्वेदा है, वहां पर बिना डायलिसिस के ही खराब किडनी का ट्रीटमेंट किया जाता है एक बार मुझे वहां जाना चाहिए। मैं अपने दोस्त की बात मानते हुए कर्मा आयुर्वेदा हॉस्पिटल चला गया और वहां डॉ. पुनीत धवन से मिला। मैंने डॉ. पुनीत धवन को अपनी सारी रिपोर्ट्स दिखाई, जिन्हें देखने के बाद उन्होंने मुझे बतया कि मैं जल्द ही ठीक हो जाऊंगा बस समय से आयुर्वेदिक दवाएं लेनी होगी और डाइट का खास ख्याल रखना होगा। मैंने घर आते ही डॉ. पुनीत धवन के कहे अनुसार आयुर्वेदिक दवाएं लेनी शुरू कर दी जिससे मुझे हफ्ते भर में ही अपने अंदर काफी सुधार दिखाई देने लगे, मुझे सभी समस्याओं से छुटकारा मिलने लगा और कमजोरी दूर होने लगी। ऐसे ही देखते ही देखते मैं कुछ ही महीनों में एक दम ठीक हो गया और वो भी बिना डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट करवाएं। अब तो मैं सभी को यही कहता हूँ कि हमेशा दवाओं के भरोसे रहना भी खतरनाक हो सकता है।

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